विमल कुण्ड

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पिशाचमोचन पर पिशाचेश्वर का मंदिर है। उनके दक्षिण में पित्रीश्वर पितरकुण्डा (पितृकुण्ड) के समीप हैं वहीं पर छागलेश्वर भी हैं। कर्पदीश्वर तथा विमलेश्वर का मंदिर पिशाचमोचन पर है। विमल कुण्ड पिशाचमोचन तालाब के नाम से प्रसिद्ध है। हेरम्ब विनायक पिचाशमोचन के समीप बाल्मीकि टीले पर हैं और उनके निकट ही बाल्मीकीश्वर है जो बाल्मीकि टीले पर है। पिशाचमोचन के निकट ही पंचास्य विनायक है और समीप ही पिंगलेश्वर का मंदिर है। पितृकुण्ड के समीप 70-75 मीटर से अधिक की दूरी पर मातृकुण्ड है। आज भी मातृ गया होती है यह तीर्थ सिद्धपुर (सौराष्ट्र) में हैं जहाँ कपिल ने अपनी माता की सांख्य का उपदेश दिया था।
 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुंड व तालाब (हिंदी) काशी कथा।


 

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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!