वाराणसी एक परिचय

परिचय
कहा क्या है बनारस में
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शिक्षा
काशी की विभूतियाँ
{महर्षि अगस्त्य} {धन्वंतरि} {गौतम बुद्ध} {संत कबीर}
{अघोराचार्य बाबा कानीराम} {लक्ष्मीबाई} {पाणिनी} {पार्श्वनाथ}
{पतञ्जलि} {संत रैदास} {स्वामी रामानन्दाचार्य} {शंकराचार्य}
{गोस्वामी तुलसीदास} {महर्षि वेदव्यास} {वल्लभाचार्य} {भारतेंदु हरिश्चंद्र} {मदन मोहन मालवीय} {लाल बहादुर शास्त्री} { बिस्मिल्लाह खां, शहनाईवादक} { कृष्ण महाराज, तबला वादक } {रवि शंकर, सितारवादक } {सिद्धेश्वरी देवी, खयालगायिका } {विकाश महाराज, सरोद के महारथी } {नैना देवी, खयाल गायिका } {भगवान दास, भारत रत्न } {समता प्रसाद (गुदई महाराज) तबला वादक, } {मुंशी प्रेमचंद (महान लेखक} {जयशंकर प्रसाद}
प्रमुख नदियाँ
{गंगा} {बानगंगा} {गोमती} {वरुणा नदी} {असि नदी}
शिल्पकला उद्योग
मंदिर
कुण्ड एवं तालाब
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!